खनन माफियाओं पर सेटेलाईट की नजर भी कमजोर हुई कार्रवाई बाद में,खनन माफियाओं तक खबर पहले -जिला मुख्यालय पर रेत उपलब्ध नहीं तहसीलों में पहुंच रही

उज्जैन। सेटेलाइट से रेत माफियाओं पर निगाह रखने की योजना की हालत यह है कि इसमें सेटेलाईट की नजर भी कमजोर पड गई है। कार्रवाई बाद में हो रही है और खनन माफियाओं तक खबर पहले पहुंच रही है। जिला मुख्यालय पर निर्माण के कामों में पत्थर की चूरी का उपयोग हो रहा है और तहसीलों में रेत सुलभ उपलब्ध है।

। सेटेलाईट की व्यवस्था के हाल यह हैं कि प्रदेश के मुख्यालय से इसकी पूरी मानिटरिंग की जा रही है। इसके बाद भी खनन माफियाओं पर नियंत्रण करने में विभाग सफल नहीं हो पा रहा है। विभागीय स्तर पर खबर होने के बाद भी रेत माफियाओं पर कार्रवाई नहीं हो पा रही। नदियों में अवैध खनन का काम जोरों पर है। मानसून सिर पर है। बारिश शुरू हो और नदियों में जलस्तर बढे उससे पहले ही रेत माफिया पूरी तरह से नदियों में रेत के लिए मशीनों से झाडू लगाने का काम का अंजाम दे रहे हैं।

छोटी नदियों से भी समेटी रेत-

जिले में बडी नदियों के साथ ही आधा दर्जन छोटी –मोटी नदियां भी हैं। रेत के लिए इन नदियों में भी पूरी तरह से खनन माफियाओं ने मशीनों से झाडू लगा दी है। शिप्रा,गंभीर,चंबल के साथ ही कालीसिंध,नदियां मुख्य हैं। इनके रेत की खदानें पूर्व से ही हैं लेकिन रेत खनन पर प्रतिबंध होने से और इसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की शर्तों के पालन की स्थिति पूर्ण नहीं होने पर अधिकांश खदानें बंद पडी हैं।

भंडारण राजस्व के जंगल क्षेत्र में-

नदियों से निकली रेत को उसके ग्रीन बेल्ट के ऐसे स्थान पर एकत्रित किया जा रहा है जहां का क्षेत्र सीधे तौर पर राजस्व के जंगल के रूप में देखा जाता है। यहां भंडारण करने के बाद रेत को तहसील एवं अन्य निर्माण की मांग के स्थलों पर बेचा जा रहा है।

कार्रवाई से पहले सूचना-

जिला मुख्यालय पर रेती नहीं होने की स्थिति सामने है। जिससे यह प्रतीत होता है कि जिले में रेत का खनन नहीं हो पा रहा है। निर्माण करने वालों को सप्लायर भी रेत की बजाय पत्थर की चूरी से ही काम को अंजाम देने का परामर्श देते हैं। इसकी बजाय तहसील एवं अन्य स्थानों पर रेत सुलभता से उपलब्ध हो रही है। बताते हैं कि कुछ बडी खदानों से रेत निकालने के लिए मशीनों का उपयोग किया जा रहा है। विभागीय स्तर पर सेटेलाईट से रखी जाने वाली नजर की सूचना विभाग तक पहुंचने से पहले ही खनन माफियाओं तक पहुंचने के चलते विभाग के कार्रवाई करने वाले अधिकारी भी हैरान परेशान हैं कि उनके पहुंचने से पहले ही रेत खनन करने वाले उन्हें गायब मिलते हैं।

 

मानसून से पहले माल बटोरने की तैयारी-

बताया जा रहा है कि 15 जून से मानसून की दस्तक होने की संभावना के बीच रेत माफिया जितना माल बटोर सकते हैं उतना बटोरने में लगे हैं। मानसून नजदीक होने के चलते इन दिनों रेत उत्खनन का कार्य जमकर अंजाम दिया गया है। इसके लिए बड़ी नाव, छोटी पनडुब्बी आदि का बड़े स्तर पर उपयोग किया गया है। सेटेलाईट की नजर के बावजूद भी खनिज विभाग के जिम्मेदार कार्रवाई करने में कमजोर साबित हुए हैं।

आलोट जागीर खदान से जमकर हुआ खनन-

इधर सामने आ रहा है कि आलोट जागीर की रेत खदान से इस बार मानसून से पहले जमकर रेत खनन किया गया है।बताया जा रहा है कि खदान क्षेत्र के साथ ही आसपास के कुछ किलोमीटर तक नदी में रेत को समेटकर भर लिया गया है। इसके लिए बडी मशीनों का उपयोग किया जाना भी बताया जा रहा है।

 

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